Kavita Mazhi

Wednesday, March 6, 2019


कई अरमान दफ़न हैं सीने मैं 
कई रातों की नींद बाक़ी हैं पलकों मैं 
सोचा था। .. मिलेंगे तो बया करेंगे  
ना बात हो पायी ना दीदार 
क़िस्मत के मारों का हाल बड़ा बेहाल हैं 
खुदा की रेहमत भी ना मिले तो 
समंदर भी बेजान हैं 

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