Savita BK
It's me and my world....
Kavita Mazhi
Wednesday, March 6, 2019
कई अरमान दफ़न हैं सीने मैं
कई रातों की नींद बाक़ी हैं पलकों मैं
सोचा था। .. मिलेंगे तो बया करेंगे
ना बात हो पायी ना दीदार
क़िस्मत के मारों का हाल बड़ा बेहाल हैं
खुदा की रेहमत भी ना मिले तो
समंदर भी बेजान हैं
हमने इश्क़ तो कर लिया
दिल भी लगा लिया
पर किससे एक परछाई से
जिसे न अपना बना सकते हैं
ना उसे छोड़ सकते हैं
या खुदा !
तू इतनी बेइन्साफी क्यों करता हैं
जिसे जो चाहिए उससे तू क्यों छिनता हैं
थोड़ा रेहम क़र अपने बंदे पर
उसका भी तो हक़ बनता हैं
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